दिवाली पर कविता (Poem on Diwali) पढ़ने, लिखने और सुनने का आनंद ही कुछ और है। एक तरफ तो चारों तरफ रंग बिरंगी जगमगाती आतिशबाजी की रोशनियाँ तो दूसरी तरफ रंग बिरंगे दीयों को सजाते हुए लोग।
ऐसे में यदि कोई व्यक्ति दीपावली की कविता (Poem for Diwali) पढ़कर सुना दे तो मन में भी रंग बिरंगे सपने जन्म लेने लगते हैं।
कहते हैं कि दिवाली अंधेरे पर प्रकाश की जीत के जश्न का त्यौहार है। दिल में बसे अंधेरे को दूर करके प्यार की रोशनी भरने का त्यौहार है। आइये, इस पावन त्यौहार पर दिवाली के बारे में एक कविता (Poem about Diwali) पढ़ी जाए।
आओ! दिवाली के इस पर्व (Festival of Diwali) पर दीये जलायें और साथ में अपनी बुराइयों को भी जला दें।
अरे! दीपावली पर तो लोग अपने घर की सफाई करते हैं तो क्यों न घर की सफाई के साथ अपने मन के मैल की भी सफाई कर दें।
आओ! इस दिवाली पर एक सुन्दर कविता (Beautiful Diwali Poem) पढ़ें।
दिवाली पर भगवान राम रावण पर विजय प्राप्त करके अपने घर अयोध्या लौटे थे, इसलिए दीपावली त्यौहार है सफलता (Success) का, कठिन परिश्रम (Hard work) के बाद प्राप्त किये हुए अपने लक्ष्य (Goal) तक पहुंचने के आनंद का। तो आपको Happy Diwali .
सुना है कि दिवाली पर्व है धन की देवी लक्ष्मी का, उन्हें मानने का, उन्हें पूजने का तो क्यों न आज हर पल जी भर जिया जाये क्योंकि दीपावली पर्व है जीने का।
आओ! इस दिवाली के अवसर पर एक कविता (Poetry on Diwali) पढ़ें।
तो देर किस बात की है, दोस्तों! आज आपके लिए एक दिवाली कविता (Diwali Poem in Hindi) लेकर आया हूँ।
यह हिंदी कविता (Poem on Diwali in Hindi) अच्छे और दिल छू लेने वाले शब्दों को एक नए तरीके से पिरोकर एक सुन्दर माला के रूप में लिखी गयी है।
कृपया इस दीपावली कविता (Diwali Poetry in Hindi) की हर एक लाइन बहुत ध्यान से पढ़ें और हर एक लाइन का आनंद लेते हुए शुरू से अंत तक पढ़ें। आशा करता हूँ आपको पसंद आएगी–
दीपावली पर्व है जीने का
Poem on Diwali in Hindi
दीपावली पर्व है जीने का
क्या लिखूं
क्या कहूं
लिखने का नहीं
कहने का नहीं
दीपावली पर्व है जीने का।
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जब तुम दीप जलाते हो,
तब तुम सिर्फ दीप नहीं जलाते हो,
जलाते हो उसमें अपनी ईर्ष्या,
अपने घमंड, अपनी कमियां।
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जब तुम सफाई करते हो
तब तुम सिर्फ सफाई नहीं करते हो,
करते हो मन की काईयां साफ,
करते हो खुद की गलतियां माफ।
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इसलिए मैं समझूं
इसलिए मैं सोचूं
समझने का नहीं
सोचने का नहीं
दीपावली पर्व है जीने का।
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अगर रहती 365 दिन दीवाली तो,
तुम्हारे मन में अंधेरा ना होता,
अगर होता दिल से दिल मिलने का प्रकाश,
तो जग में कहीं भी अंधेरा ना होता।
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अगर सबमें “वसुधैव कुटुम्बकम्” रहता,
तब कुछ यहां मेरा ना होता,
तब कुछ यहां तेरा ना होता,
जो भी होता वो सबका होता।
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मैं ऐसा जानूं
मैं ऐसा मानूं
जानने का नहीं
मानने का नहीं
दीपावली पर्व है जीने का।
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शहर के उस कोने में जो गरीब रहते है,
जिनके पास दो वक्त की रोटी नहीं,
पहनने के लिए दो मीटर की लंगोटी नहीं।
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शहर के दूसरे कोने में और गरीब रहते है,
जिनके पास रोटी है, अच्छी सेहत नहीं,
जिनके पास कपडे है, अच्छी नीयत नहीं।
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इन दोनों के ही घर देखो आज दीपावली है
एक ओर पेट जले, दूसरी ओर मोमबत्तियां जली हैं।
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मंजर को देखूं
हालात को परखूं
देखने का नहीं
परखने का नहीं
दीपावली पर्व है जीने का।
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दिवाली के गीत हिंदी में पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें–
Diwali Songs In Hindi | मनमोहक दिवाली के गीत
By- Raj Kumar Yadav
Email : [email protected]
दिवाली पर कविता (Poem On Diwali In Hindi), यह कविता हमें राज कुमार यादव जी ने भेजी है जो गोपालगंज, बिहार से हैं। राज जी को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है। राज कुमार जी का बहुत बहुत धन्यवाद ! हम राज कुमार जी को उनके बेहतर भविष्य के लिए शुभकामनायें देते है।
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