जीवन में आने वाले परिवर्तन का सामना करना सिखाती एक बेहतरीन कहानी
(Based On Book Who Moved My Cheese?)
दुनिया में लगातार परिवर्तन (Changes) होता रहता है क्योंकि परिवर्तन ही प्रकृति का नियम है (Change is the Law of Nature)। जो लोग इस नियम को मानते हैं वह दुनिया में हो रहे बदलाव का सीना तानकर सामना करते हैं और खुद को भी इसी नियम के अनुसार बदल लेते हैं।
लेकिन बहुत से ऐसे लोग हैं जो नहीं चाहते कि कोई परिवर्तन हो, लेकिन जब परिवर्तन होता है तो वह उसके हिसाब से खुद को नहीं बदल पाते और बहुत पीछे या बहुत नीचे रह जाते हैं। कभी कभी तो परिवर्तन के साथ न बदलने के कारण कुछ लोगों को तो अपना सब कुछ गवांना भी पड़ जाता है।
आइये! इसी बारे में मैं आपको एक मोरल के साथ छोटी सी कहानी (Short Story with Moral) बताता हूँ–
इस कहानी में चार पात्र हैं जिसमे दो चूहे हैं जिनका नाम स्निफ और स्करी है और दो व्यक्ति हैं जिनका नाम हेम और हॉ है। इन चारों में बहुत मेहनत करके अपने आसपास बहुत ढेर सारा “चीज़” इकठ्ठा कर लिया था। वह अपने चीज़ से बहुत प्यार करते थे।
यहाँ चीज़ से मतलब उन सभी चीजों से है जिन्हें हम अपनी लाइफ में पाना चाहते हैं। वह चाहें एक अच्छी नौकरी हो, हेल्थ हो, पैसा या आपकी मनपसंद बस्तुएं हों।
चारों ने अपनी चीज़ का आनंद लेना शुरू कर दिया था। लेकिन स्निफ और स्करी बहुत चतुर थे। वह चीज़ का आनंद लेने के साथ साथ प्रत्येक दिन अपने पास मौजूद चीज़ का Analysis करते रहते थे और पता लगाते रहते थे कि अब चीज़ की क्वालिटी क्या है और उनके पास अब कितना चीज़ रह गया है।
जबकि हेम और हॉ अपने चीज़ का आनंद लेते रहते थे। उन्होंने कभी यह ध्यान ही नहीं दिया कि उनका चीज़ कम हो रहा है।
एक दिन जब स्निफ और स्करी ने देखा कि उनका सभी चीज़ खत्म हो चुका है तो वह परेशान नहीं हुए बल्कि बिना समय बर्बाद किये तुरंत नए चीज़ की खोज में बहुत तेजी से चल दिए।
इधर हेम और हॉ को जब पता चला कि उनका चीज़ अब खत्म हो गया है तो वह बहुत परेशान हुए और बार बार अपने चीज़ को खोजने लगे, दूसरों को दोष देने लगे और कहने लगे कि हमारा चीज़ कहाँ गया, किसने ले लिया।
वह रोज अपने चीज़ को खोजते लेकिन वह उन्हें नहीं मिला। एक दिन हॉ ने हेम से कहा कि यह स्निफ और स्करी पता नहीं कहाँ हैं, शायद नए “चीज” की खोज में चले गए। हमें भी नए चीज़ की खोज में अपने चारों ओर मौजूद भूलभुलैया में जाना चाहिए।
यहाँ भूलभुलैया से मतलब इस “दुनिया” से है जहाँ पता नहीं कब कौन सी चीज़ हमें अपने प्रयास पूरे होने पर मिल जाये।
हेम को तो भूलभुलैया में जाने के नाम से ही डर लगने लगा और कहने लगा कि नहीं! मेरा चीज एक दिन यही आएगा, मुझे कहीं नहीं जाना।
लेकिन हॉ खुद पर हंसने लगा और कहने लगा कि हम इतने दिनों से प्रयास कर रहे हैं, अब कोई चीज़ यहाँ नहीं आने वाला, अब तो हमें खुद उसे खोजने भूलभुलैया में जाना ही होगा।
हॉ ने हेम से साथ चलने को बहुत कहा लेकिन वह नहीं माना। फिर हॉ खुद तैयार होकर चीज़ की खोज में भूलभुलैया में चला गया।
भूलभुलैया में हॉ को बहुत डर लग रहा था लेकिन डरने के और आगे बढ़ने के अलावा उसके पास और कोई रास्ता भी तो नहीं था। वह बहुत कमजोर हो गया था। बहुत बड़े चीज़ की खोज में उसे रास्ते में चीज़ के छोटे छोटे टुकड़े मिल जाते थे जिन्हें खाकर वह गुजारा करता था।
डर के साथ वह आगे बढ़े चला जा रहा था। रास्ते में उसे लगा कि चीज़ का बहुत बड़ा ढेर आने वाला है लेकिन जब पास जाकर देखा तो वहां दो चार छोटे छोटे टुकड़े पड़े हुए थे। शायद कोई पहले आकर उस चीज़ के ढेर को ले गया था।
हॉ ने सोचा क्यों न कोई नया रास्ता चुना जाये क्योंकि इस रास्ते में सफलता नहीं मिल रही। वह भूलभुलैया में नए रास्ते पर चलने लगा। नए रास्ते पर चलते ही उसे बहुत अच्छा महसूस होने लगा। उसने महसूस किया कि उसका डर भाग गया है।
जब हम कोई नया रास्ता चुनते हैं और हमारा रास्ता सही हो तो हमारा डर दूर हो जाता है। हॉ अब बहुत अच्छा महसूस करने लगा था।
उसे अपने दोस्त हेम की याद लगातार बनी हुई थी। वह चीज़ की खोज में आगे बढ़ता जा रहा था और हेम यदि वहां से चले और उस तक पहुंचना चाहें तो इसके लिए हॉ ने रास्ते के बीच बीच में दीवारों पर मार्क कर दिया था ताकि हेम को उस तक पहुंचने में कोई परेशानी न हो।
अब हॉ ने कल्पना करना शुरू कर दिया। वह भूलभुलैया में रास्ते पर चला जा रहा था और बहुत बड़े चीज़ के ढेर की कल्पना कर रहा था। इस तरह कल्पना करने से उसे आगे बढ़ने की ऊर्जा मिलती जा रही थी।
अचानक ही उसकी नजर एक बहुत बड़ी जगह पर पड़ी जहाँ पहाड़ जैसा कुछ उसे नजर आया। वह बहुत तेज दौड़ता हुआ आगे बढ़ा। उसकी रफ़्तार कई गुना बढ़ चुकी थी।
जैसे ही वह उस पहाड़ के पास पहुंचा तो उसकी आंखें खुली की खुली रह गयी। वह पहाड़ नहीं बल्कि चीज़ का बहुत बड़ा ढेर था। जितना उसने उम्मीद की थी उससे भी ज्यादा बड़ा “चीज़”।
वह बहुत खुश हुआ और तेज तेज चिल्लाने लगा। तभी उसे वहां स्निफ और स्करी भी नजर आये। वह हॉ को देखकर बहुत खुश हुए।
लेकिन हॉ ख़ुशी के साथ साथ बार बार पीछे मुड़कर भी देखता। उसे अपने दोस्त हेम का इतंजार था। वह सोच रहा था कि क्या हेम अपनी जगह से आगे बढ़ा होगा?
क्या उसने भूलभुलैया में प्रवेश किया होगा?
क्या उसने परिवर्तन को स्वीकार करते हुए जीत की और कदम बढ़ाया होगा?
तभी उसे एक आहट सुनाई दी, उसने महसूस किया कि शायद उसका दोस्त वहां आ पहुंचा है।
इस कहानी से आपने क्या सीखा?
Best Moral of Story Based on Book “Who Moved My Cheese?”
दोस्तों, इस हिंदी कहानी से हम बहुत कुछ सीख सकते हैं। यहाँ मैं आपको इस कहानी से सीखे हुए 5 Life Lessons आपको बताऊंगा–
1- सबसे पहली बात यह कि इस दुनिया में हर समय परिवर्तन होता रहता है। आपके जीवन के हर क्षेत्र में समय के साथ साथ बदलाव आते रहते हैं। यदि आप सफल होना चाहते हैं तो इस बदलाव के लिए हमेशा तैयार रहें।
2- स्निफ और स्करी बहुत समझदार थे। वह अपनी चीज़ का आनंद भी ले रहे थे लेकिन सतर्क भी थे और हर रोज अपनी चीज़ का Analysis करते थे और पता करते थे कि कितना चीज़ कम हो रहा है। आपको भी इन दोनों की तरह बनना चाहिए। आपको भी अपने पास मौजूद खुशी देने वाली चीजों जैसे नौकरी, पैसा, हर मनपसंद चीज की समय समय पर Analysis करते रहना चाहिए।
3- जब हम अपने चीज़ की Analysis करते हैं जो हमें अंदाजा लग जाता है कि किस चीज में कब और कितना परिवर्तन हो सकता है और हम उसके लिए तैयार रह सकते हैं। और जब परिवर्तन हो तो नयी चीज़ तुरंत खोज सकते हैं। यदि हम ऐसा नहीं करते हो वही हालत होती है जो हेम और हॉ की हुई थी।
4- यदि आप अपनी चीज़ का Analysis नहीं करते और यदि अचानक बदलाव आता है तो जितनी जल्दी हो सके उस परिवर्तन को Accept कर लो और बहुत बुरे हालात होने से पहले ही नए चीज़ की खोज में लग जाओ जिस प्रकार हॉ लग गया था। हेम की तरह रहोगे तो हालात बुरे होते चले जायेंगे। जितना जल्दी आप पुराना चीज़ छोड़ेंगे उतना ही जल्दी आप नया चीज़ खोज लेंगे।
5- जब आपका चीज़ आपके पास होता है तो आप बहुत खुश होते हो लेकिन परिवर्तन प्रकृति का नियम है। हो सकता है आपका चीज़ बेकार हो जाये या ख़त्म हो जाये तो आप भी बदलाव को हमेशा तैयार रहो। यदि आप परिवर्तन के साथ खुद को नहीं बदलते हैं तो आप खुद को नष्ट कर लेंगे।
दोस्तों, यह कहानी मैंने डॉ. स्पेंसर जॉनसन (Spencer Johnson) की Best Selling Book “मेरा चीज़ किसने हटाया?” (Who Moved My Cheese?) से ली है।
यह पुस्तक (Mera Cheese Kisne Hataya Summary) इसी प्रेरणादायक कहानी (Who moved my cheese?) को लिए हुए है। इस पुस्तक में दो चेप्टर हैं, पहले में यह कहानी है और दूसरे में कुछ दोस्तों को बात करते हुए बताया गया है जो इस कहानी से जो भी सीखते हैं, वह बताया गया है।
दोस्तों, यह बुक इतनी अच्छी है कि आप इसे जितनी बार पढ़ेंगे, उतनी ही बार आपको नयी नयी बातें सीखने को मिलेंगी।
मेरे हिसाब से यदि आप सफलता (Success) चाहते हैं, जीवन में और अपने कार्य में होने वाले परिवर्तन (Changes in Work and Life) को लेकर सतर्क हैं और हमेशा खुश रहकर बदलाव को गले लगाते हुए सदैव आगे बढ़ना चाहते हैं तो इस किताब (Who moved my cheese?) को खरीदकर अपने पास रख लीजिये और समय समय पर इसे जरूर पढ़िए।
यदि आप इस Motivational Book (Who moved my cheese?) को खरीदना चाहते हैं तो यहाँ नीचे दिए गए लिंक से खरीद सकते हैं–
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Who moved my cheese is great things article.thanks you auther.
Such a great article thanks for sharing
बहुत ही प्रेरणादाई , और अनुकरणीय
बोहोत ही अच्छा प्रेरणादायी कहाणि है।
nyc post bHAI
Awesome post. 100% Quility post hai ye bhai. pahle to socha tha ke isme wahi purani wali battein hogi par bhut mst post likhi hai.
very nice story …amul ji
Great motivative article, thanks
hello ,
such a great article thanks for sharing ,
बहुत प्रेरणादायक पोस्ट
ye kahani bahut hi behtarin hai. dhnyavad