क्या आप जो कहते हैं, वही करते हैं? | Story On Words And Actions

यदि आपको दो लोगों के साथ एक महीने तक रहने का मौका मिले, जिनमे से एक सफल व्यक्ति (successful person) हो और एक असफल व्यक्ति (failure person) हो तो क्या आप पहचान पाएंगे कि कौन सा सफल व्यक्ति है और कौन सा असफल व्यक्ति है?

जी हाँ! मुझे लगता है कि आपका उत्तर “YES” में ही होगा।

hindi moral story on words and actions
Words And Actions

ऐसा आप इसीलिए कर पाएंगे क्योंकि सफल लोगों (successful people) की कुछ ऐसी अच्छी आदतें (good habits) होती हैं जो असफल लोगों (failure people) में नहीं होती।

सफल व्यक्ति की आदतें (habits of successful people) हमें उसके सफल होने के बारे में बता देती हैं।

सफल लोगों की बहुत सी सकारात्मक आदतें (positive habits) होती हैं, जैसे- सफल लोगों में self confidence होता है, वह गलतियों (mistakes) से सीखते हैं, वह कभी हार नहीं मानते (never quit) आदि।

लेकिन सफल लोगों में एक बहुत बेहतरीन आदत (great habit) होती है जिसके बारे में मैंने Aapki Safalta पर पहले कभी नहीं बताया है।

यह आदत जिस व्यक्ति ने अपना ली तो समझो वह बहुत जल्द ही सक्सेसफुल होने वाला है।

Successful बनाने वाली वह Habit है– कथनी और करनी में अंतर न होना। (No difference between words and actions)

अर्थात यदि कोई व्यक्ति कुछ कहता है और अपने कहे गए शब्दों (words) के अनुसार ही कार्य (actions) भी करता है तो उस व्यक्ति के सफल होने की संभावना (possibility of success) बहुत बढ़ जाती है।

और यदि कोई व्यक्ति अपने कहे गए शब्दों के विपरीत कार्य करता है, तो वह सफल नहीं हो पाता और असफलता की खाई में धंसता चला जाता है।

इस बात को और अच्छी तरह समझाने के लिए मैं आपको एक कहानी (story) बताता हूँ। कृपया ध्यान से पढ़िए—

“कथनी और करनी” पर एक प्रेरणादायक कहानी

Motivational Story On “Words And Actions”

कुंदनपुर में एक राजा शासन चलाता था। उसका सोचना था कि यदि कोई राजा अपनी प्रजा से मिलता है और उनकी समस्याओं को हल करता है तो वह अपनी प्रजा का प्रिय बन जाता है।

इसके लिए वह हर सप्ताह अपने एक मंत्री के साथ प्रजा से मिलने के लिए पूरे राज्य में घूमता था। घूमते समय वह लोगों की समस्याओं को सुनता था और उनका हल भी करता था।

लेकिन कभी-कभी समस्या बड़ी होती थी और ऐसी होती थी जिसे तुरंत सुलझाया नहीं जा सकता था, तब ऐसी स्थिति में राजा कह देता था, “ठीक है! मैं इस समस्या के लिए कल एक सभा बुलाऊंगा।” इतना कहकर राजा आगे बढ़ जाता था।

राजा लोगों से सभा बुलाने को कह तो देता था लेकिन बाद में बहुत से कार्यों में व्यस्त हो जाता था और समस्या के समाधान के लिए सभा (assembly) नहीं बुलाता था।

राजा प्रत्येक सप्ताह लोगों से मिलता और बड़ी तथा अधिक समय लगने वाली समस्याओं के लिए एक सभा बुलाने को कह देता। लोग समस्या के समाधान होने का इंतजार करते लेकिन राजा कोई भी सभा नहीं बुलाता था।

एक दिन राजा से मिलने उसका एक मित्र आया। राजा ने उसका स्वागत किया और कुछ दिनों तक अपने राज्य में अतिथि बनकर रुकने को कहा। उसके मित्र ने इसे स्वीकार कर लिया। राजा और उसका मित्र अब अधिकतर समय साथ में ही रहते थे।

अब जब राजा अपनी प्रजा से मिलने गया तो हर बार की तरह राजा ने कुछ समस्याओं को हल करने के लिए एक सभा बुलाने को कहा। यह बात राजा के मित्र को बहुत अच्छी लगी, वह सभा में राजा को समस्याओं का समाधान करते हुए देखने के लिए बहुत उत्सुक था क्योकि उस दिन कुछ ऐसी समस्याएं लोगों द्वारा लायी गयीं थीं जो बहुत मजेदार थीं और उत्सुकता (eagerness) को बढ़ाने वाली थीं ।

लेकिन जब अगला दिन आया तो राजा के मित्र ने उससे सभा में चलने और लोगों की समस्याओं को हल करने को कहा। राजा अपने मित्र के साथ सभा में गया।

लेकिन यह क्या? सभा में तो कोई भी व्यक्ति नहीं आया था।

राजा और उसका मित्र सभा में बहुत देर तक बैठे रहे लेकिन कोई भी नहीं आया तो राजा के मित्र को बहुत आश्चर्य हुआ कि प्रजा हमेशा अपने राजा से मिलने को उत्सुक रहती है लेकिन क्या बात है कि यहाँ की प्रजा अपने राजा से मिलने नहीं आयी।

प्रजा के न आने से राजा बहुत क्रोधित हो गया और उसने अपने सैनिकों से उन लोगों को पकड़कर लाने को कहा जिनकी समस्याएं सभा में हल होनी थीं। सैनिक तुरंत गए और उन सभी लोगों को पकड़ लाये।

राजा बहुत ही क्रोधित होता हुआ बोला, “जब तुम सभी को आज की सभा में बुलाया गया था तो तुम क्यों नहीं आये? क्या तुम्हारे मन में मेरे लिए कोई इज्जत नहीं है? तुम्हे इसकी सजा जरूर मिलेगी।”

पकड़कर लाये गए लोग चुपचाप खड़े रहे, कोई उत्तर नहीं मिला। अब राजा बहुत क्रोधित हो गया।

राजा को बहुत क्रोधित देखकर उसके मित्र ने उससे कहा, “मित्र! इतना क्रोध मत करो। मैं पता लगता हूँ कि यह लोग सभा में क्यों नहीं आये।”

अब राजा के मित्र ने उन लोगों की तरफ देखा और कहा, “सभी लोग अपने राजा से मिलने को बहुत उत्सुक रहते हैं। राजा की एक झलक पाने को कुछ भी कर सकते हैं। तो ऐसा क्या कारण है कि तुम लोग राजा के बुलाने पर भी सभा में नहीं आये।”

कोई भी उत्तर नहीं मिला। राजा के मित्र ने फिर कहा, “तुम लोग डरो मत! जो बात मन में है बता दो। तुम्हारे राजा की तरफ से मैं गारंटी लेता हूँ कि तुम लोग यदि सच बताओगे तो तुम्हे कोई भी दंड नहीं दिया जायेगा।”

अब उनमे से एक बुजुर्ग आगे बढ़ा और बोला, “हम लोग भी अपने राजा से मिलने को बहुत उत्सुक रहते हैं लेकिन हमारे राजा हमसे यह तो कहते हैं कि आपकी समस्या का हल कल की सभा में किया जायेगा लेकिन कभी कोई सभा नहीं बुलाते। शुरुआत में तो बहुत से लोग सभा में शामिल होने के लिए आते थे लेकिन जब सभा नहीं बुलायी जाती थी तो सभी लौट जाते थे। जब ऐसा ही चलता रहा तो सभी ने यह मान लिया कि हमारे राजा सभा के लिए कहते तो हैं लेकिन सभा कभी करते नहीं। इसीलिए अब राजा के कहने पर भी कोई सभा में नहीं आया।”

राजा को यह बात सुनकर अपनी गलती का एहसास हो गया। राजा समझ गया कि असली राजा वही है जो अपनी प्रजा से जो कहे, वह करके भी दिखाए वरना राजा अपनी प्रजा का विश्वास खो देता है।

अब राजा ने निश्चय किया कि वह अपने किये गए वायदे (commitment) के अनुसार हर हफ्ते एक सभा बुलायेगा और जो भी अपनी प्रजा से कहेगा उसे करके भी दिखायेगा।

इस कहानी से हमने क्या सीखा?

Moral Of This Inspiring Story

दोस्तों! इस कहानी से हमें एक बहुत बड़ा सबक (big lesson) सीखने को मिलता है।

हमें अपने शब्दों और कार्यों (words and actions) में अंतर नहीं रखना चाहिए। अगर किसी से कोई वादा (promise) कर दिया है तो उसे जरूर निभाना चाहिए।

हम यदि जो कहते हैं, अगर वैसा नहीं करते तो लोगों का हम पर से विश्वास (trust) चला जाता है समय आने पर लोग हमें धोखेबाज (traitors) भी कह देते हैं।

इस हिंदी कहानी (Hindi story) में भी राजा ने अपनी प्रजा का विश्वास खो दिया था, इसीलिए कोई भी अगले दिन राजा की सभा में नहीं पहुँचा।

यही बात success होने के लिए भी बहुत जरुरी है। सफल लोग अपनी कथनी और करनी (words and actions) में कोई अंतर नहीं करते और इस बात की आदत डाल लेते हैं।

यदि सफलता प्राप्त करना है तो जो कहो, वह जरूर करो और जो न करो, उसे कहो भी मत।

जैसे-जैसे आप अपनी कथनी और करनी (words and actions) में अंतर कम करते जायेंगे, वैसे-वैसे आप सफलता के बहुत करीब आते जायेंगे। क्योकि यह बात 100% सही है कि अपने शब्दों और कार्यों में अंतर खत्म किये बिना कोई भी सफलता प्राप्त नहीं कर सकता।

क्या आप जानते हैं कि महात्मा गाँधी (Mahatma Gandhi) की सफलता का राज क्या था? मैं बताता हूँ। उनकी सफलता का राज (secret of success) था– उनकी कथनी और करनी में कोई भी अंतर का न होना। वह जो भी कहते थे, वही करते थे। उनके शब्दों और कार्यों में अंतर बहुत कम था। यही उनकी सफलता का राज भी था।

आपने वांटेड मूवी (wanted movie) में सलमान खान (Salman Khan) द्वारा बोला गया एक डायलॉग जरूर सुना होगा–

“एक बार जो मैंने कमिटमेंट कर दी…. उसके बाद तो मैं खुद की भी नहीं सुनता।”

दोस्तों! यह सिर्फ एक filmy dialogue ही नहीं है बल्कि हमें बहुत कुछ सिखाता है। यह डायलॉग हमें सिखाता है कि जब भी हम कोई commitment करें, जब भी हम कोई  promise करें, तो कुछ भी हो जाये उसे पूरा जरूर करें।

अतः आज हमें खुद से यह वादा (commitment) करना चाहिए कि आज ही से हम अपनी कथनी और करनी (words and actions) में कम से कम अंतर रखेंगे और जो कहेंगे, वही करेंगे और अगर एक बार किसी से कोई वादा कर दिया तो फिर कभी भी पीछे नहीं हटेंगे। लेकिन यह बात भी जरूर ध्यान रखें कि जो भी कहें और जो भी वादा करें, बहुत सोच समझकर करें। क्योकि यदि आप अच्छा करने को कहोगे तो अच्छा ही करोगे।

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