Moral Story On Bad Habits In Hindi
(Remove Your Inner Drawbacks)
बहुत समय पहले भारत में एक राजा राज्य करता था। उसके पास एक बहुत बड़ी सेना थी जिसकी सहायता से उसने अपने राज्य को बहुत विशाल बना लिया था।
राजा के एक पुत्र था जो उस विशाल राज्य का इकलौता युवराज था। वह सोचता था कि जब वह राजा बनेगा तो अपने पिता की तरह अपने राज्य को और भी बड़ा बनाएगा।
लेकिन राजा से ईर्ष्या करने वाले कुछ दरबारियों ने युवराज को बहुत सी बुरी आदतों का आदी बना दिया। अब युवराज हर समय व्यसनों (Addictions) में लगा रहता था। यह बात जानकर राजा बहुत दुखी हुआ।
भविष्य में इतने बड़े राज्य के लिए एक योग्य राजा की जरुरत थी। राजा ने युवराज को बहुत समझाया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। राजा के कहने पर उसके भरोसेमंद मंत्रियों ने भी युवराज को समझाने की पूरी कोशिश की लेकिन इसका भी कोई फायदा नहीं हुआ।
अब राजा बहुत दुखी हो गया। अब उसे अपने राज्य का भविष्य बहुत अंधकारमय दिखने लगा। लेकिन राजा ने ठान लिया कि कैसे भी हो, वह युवराज की इन बुरी आदतों को दूर करके ही रहेगा।
उसने पूरे राज्य में संदेश भिजवा दिया कि जो भी युवराज की इन बुरी आदतों को दूर कर देगा उसे राज्य का प्रमुख मंत्री बनाया जायेगा। अब तो बहुत से लोग युवराज की गलत आदतों को दूर करने के लिए तरह-तरह के प्रयास करने लगे। लेकिन इन प्रयासों का भी युवराज पर कोई असर नहीं हुआ।
अब तो राजा और भी ज्यादा परेशान हो गया।
एक दिन राज्य में एक प्रसिद्ध संत आये। राजा ने सोचा कि क्यों न वह युवराज को संत के पास ले जाये, हो सकता है संत के पास इसका कोई उपाय हो।
राजा संत के पास पहुंचा। संत ने सभी बातें ध्यान से सुनी और उसने राजा से कहा कि वह कल युवराज (Prince) को उसके पास भेज दे।
अगले दिन जब युवराज उस संत के पास पहुंचा तो उसने देखा कि संत ने वहां दो कच्ची सड़कें बनवा रखी थीं। उसमे से एक सड़क पर उसने फूल बिछा रखे थे और दूसरी आने-जाने वाली सड़क पर उसने बहुत से छोटे-छोटे पत्थर बिछा रखे थे।
यह देखकर युवराज ने पूछा, ” मुझे यहाँ क्यों बुलाया है और यह तुम क्या कर रहे हो?”
संत ने कहा, “युवराज! मैं आपके लिए परेशानियों का निर्माण कर रहा हूँ। आपको इन परेशानियों का सामना करते हुए आगे बढ़ते जाना है।”
युवराज के कुछ समझ नहीं आया। उसने फिर से संत से पूछा, “मुझे तुम्हारी बात समझ नहीं आयी। किन परेशानियों का सामना मुझे करना है। कहाँ हैं वह परेशानियाँ???”
पत्थरों वाली सड़क की ओर इशारा करते हुए संत ने उत्तर दिया, “इस सड़क पर मैंने बहुत से पत्थर बिछा दिए हैं। यही पत्थर आपके लिए परेशानियाँ (Problems) हैं क्योकि अब आपको अपने शाही जूते पहनकर इस पत्थर से भरी सड़क पर चलकर उसे पार करना है।”
युवराज बोला, “यह कौन सी बड़ी बात है, इन पत्थरों से भरी सड़क को मैं अभी पार कर देता हूँ।” युवराज शाही जूते पहनकर उस सड़क पर लड़खड़ाते हुए चलने लगा और कुछ ही समय में उसने पत्थरों से भरी हुई सड़क को पार कर लिया।
संत बहुत खुश हुए और अब कुछ देर युवराज को आराम करने को कहा।
आराम करने के बाद अब उस संत ने युवराज से कहा, “मैं चाहता हूँ कि अब आप फूलों से भरी इस सड़क पर चलें।”
अब युवराज ने वही शाही जूते पहने और सड़क पार करने लगा लेकिन यह क्या!!! युवराज तो फूलों से भरी सड़क पर चलते ही बहुत लड़खड़ाने लगा।
कुछ ही समय में उसके पैर से खून बहने लगा। वह कुछ दूर और चला फिर गिर गया।
सभी देखने वाले लोग बहुत हैरान थे कि फूलों से सजी हुई सड़क और शाही जूते पहने हुए होने के बाद भी युवराज इसे पार क्यों नही कर पाया।
अब सड़क पर गिरे हुए युवराज ने तुरंत अपना जूता उतारा और देखा कि उसमे से एक जूते में एक छोटा सा पत्थर था जिसकी वजह से वह चल नहीं पाया और पत्थर के चुभने की वजह से पैर से खून निकलने लगा।
तभी वह संत युवराज के पास आये और मुस्कुराते हुए बोले, “यह पत्थर आपके आराम करते समय मैंने ही आपके जूते में रख दिया था। मैं इससे आपको जीवन की सीख (Life-long learning) देना चाहता था।”
युवराज गुस्से में बोला, “मैं कुछ समझा नहीं, तुम मुझे क्या बताना चाहते हो?”
संत ने कहा, “यदि आपके रास्ते में बहुत से पत्थर क्यों न हों, आप अच्छे जूते पहनकर उसे पार कर सकते हो लेकिन यदि आपके जूते में एक भी पत्थर हो तो आप फूलों से सजी सड़क पर भी चार कदम नहीं चल सकते। इसी प्रकार आप पत्थर रुपी बाहर की अनेकों परेशानियों का सामना कर सकते हैं लेकिन आपके अंदर की एक भी बुरी आदत आपको जीवन में हार का सामना करा सकती है।”
यह बात युवराज के दिल को छू गई। अब वह समझ चुका था कि उसके अंदर की बुरी आदतें (Inner drawbacks) उसे कितना नुकसान पहुँचा सकती हैं। अब उसने निर्णय (Decision) लिया कि वह अपनी सभी बुरी आदतों को छोड़ देगा और अपने पिता की तरह अपने राज्य को बढ़ाकर उसमे सुख और शांति लाएगा।
इस हिंदी कहानी से आपने क्या सीखा?
Moral Of This Inspiring Story
दोस्तों! इस कहानी से हमें जीवन की बहुत बड़ी सीख मिलती है।
हम बाहर से मिलने वाली चुनौतियों से नहीं बल्कि अपने अंदर की कमजोरियों से हार जाते हैं। हमारी एक गलत आदत हमें असफलता का सामना करा सकती है। (We can win from challenges of outside but we get defeat from our inner drawbacks. Our a bad habit can provide us the face of failure)
कहानी में युवराज ने अच्छे और मजबूत जूते पहनकर अनेकों पत्थरों को पार कर लिया था। इसी प्रकार हम भी अच्छी आदतें (Good habits) अपनाएं और अपने इरादे मजबूत (Strong Intention) रखें तो जीवन की अनेकों परेशानियों (Problems) और चुनौतियों का सामना आसानी से कर सकते हैं।
लेकिन जब युवराज के जूते में एक छोटा सा पत्थर रखकर उसे फूलों पर चलाया गया तो वह चार कदम भी सही से नहीं चल पाया और लड़खड़ाकर गिर गया। इसी प्रकार यदि एक भी बुरी आदत (Bad habits) हमारे अंदर आ गई तो वही हमें जीवन की राह (Ways of life) पर चार कदम भी नही चलने देगी, फिर चाहे हमारे पास फूलों के रूप में कितनी भी अच्छी सुविधाएं क्यों न हो।
हमारी गलत आदतें और हमारे व्यसन (Our addiction) हमें जीवन के बीच रास्ते में ही लड़खड़ाकर गिरा देते हैं और हम अपनी मंजिल (Goal) तक नहीं पहुच पाते।
दोस्तों! सफलता की राह में बाहर की चुनौतियाँ (Challenges) तो आपको परेशान जरूर करेंगी। सभी को करती हैं। लेकिन यह possible है कि आप उनका सामना कर सकते हैं। पर यदि हम खुद अंदर से कमजोर (Inside weaker) हैं तो चाहे कितना भी जोर लगा लें, सफलता को प्राप्त नहीं कर सकते।
तो उठो, जागो और खुद को इतना Strong बना लो, खुद के अंदर इतना आत्मविश्वास (Self confidence) भर लो, खुद को बहुत सी अच्छी आदतों से सजा लो कि यदि बाहर कितनी भी कठिन परिस्थितियां (Difficult conditions) क्यों न हो, आपके कदम एक पल के लिए भी न लड़खड़ाये और सभी कठिन चुनौतियों (Tough challenges) का सामना करते हुए विजय श्री (victory) प्राप्त करो। आप आगे तो बढ़ो! “आपकीसफलता” हमेशा आपके साथ है।
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Awesome story, I Am Remmeber this story forever.
dil ko chhu gyi…Keep up it 👌👌👍
good nice story
and life m internal s strong hona jarori ha
Great story with good moral..
Aapne iss kahani ke madhyam se bahut badi seekh di hai, insaan ka sabse bada dost or sabse bada dushman vo khud hai or ye insaan me nirbhar karta hai ki vo apna dost banana cahata hai ya dushman.
Bhai insan ko khud ka dost hi banna chaiye…..dushmani ka kaam dushmano ka hai….sabhi apne bare me accha sochen…..tabhi success mil payegi….
बहुत ही दिलचस्प कहानी है। ज्यो – ज्यो आगे पढ़ते जा रहा था, कहानी के अंत के बारे में सोच रहा था की कहानी फिनिश कैसे होगी। कहानी का सन्देश पढ़कर बहुत अच्छा लगा। बेस्ट स्टोरी अमूल जी।
Dhanyavad Surendra ji….sandesh accha hone ke karan hi mene yeh story publish ki hai…..
बहुत ही सीख परख स्टोरी.. हमें अगर सफल होना है तो अपनी कमजोरी को दृढ़ संकल्प के साथ ठीक कर आगे बढ़ना होगा। फिर चाहे राह में कांटे हो या फूल हम आसानी से मंजिल तक पहुंच सकते हैं।
Dhanyavad! Durga pandey ji…..sahi kaha aapne….hame apni kamjoriyon ko hatakar majboot irado ke sath safalta ki oor aage badna chaiye…..
Safalta har koi pana chahta hai aur har koi pa bhi skta hai lekin har koi safal ho nahi pata, kyuki hum apni hi kamiyon ki taraf dhyan nahi dete apni hi buri adto ke karan asafal hote hai, agar buri adto ko chor de aur achhi adto ko apnale aur samay ke paband ho jaaye to koi bhi safal ho skta hai.
Bahut hi badhiya story likhi aapne.
Sahi kaha aapne….ham apni kamiyon ki taraf dhyan nahi de pate…..kuch time nikalkar hame apni kamiyon ko door karne ki poori koshish karni chaiye….Dhanyavad!