Stop Blaming Others In Hindi : हम इंसान भी बड़े अजीब होते हैं। जब भी जीवन (Life) में हमें सफलता (Success) मिलती है तो उसका श्रेय (Credit) हम खुद लेते हैं।
लेकिन यदि हम असफल (Unsuccessful) हो जाते हैं अर्थात जीवन में जब भी हम हार का सामना करते हैं तो दोष खुद को नहीं देते बल्कि हार जाने का सारा दोष (Blame) दूसरों पर लगा देते हैं।
जब हम सफल (Successful) हो जाते हैं तो पूरी दुनिया को इस बारे बताना चाहते हैं और चाहते हैं कि लोग हमें देखकर कहें कि “यह वही व्यक्ति है जिसने सफलता प्राप्त की है।”
हम सफलता प्राप्त करने पर खुद पर गर्व महसूस (Pride themselves) करने लगते हैं।
सफल होने पर हम आत्मविश्वास (Self-confidence) से भर जाते हैं।
पूरी दुनिया हमें सुन्दर रंगों से भरी हुई महसूस होती है और दुनिया का हर व्यक्ति अपना सा लगता है।
लेकिन जब हम असफल हो जाते हैं तो तुरंत अपनी असफलता का श्रेय दूसरों को दे देते हैं।
तब हम दूसरों को बताते हैं कि मैं अमुक व्यक्ति के कारण हारा।
या हम यह भी कह देते हैं कि मेरे भाग्य (Luck) ने मेरा साथ नहीं दिया।
हार जाने पर मन निराशा (Frustration) से भरा होता है लेकिन तब भी अपने मन को बहलाने के लिए दूसरों को दोष देने से नहीं चूकते।
असफल होने पर अफसर अपने कर्मचारियों को दोष देते हैं।
दुकानदार अपने ग्राहकों को दोष देते हैं।
किसी कंपनी का बॉस अपने ऑफिस में काम करने वाले लोगों को दोष देता है।
घर में भी पति अपनी पत्नी को और पत्नी अपने पति को दोष देते हैं।
दोष देने का यह नियम ऐसे ही चलता रहता है और हम लोग दोष लगाकर एक दूसरे को धक्का देकर गिराने की कोशिश में लगे रहते हैं। (Stop Blaming Others)
लेकिन अब प्रश्न यह आता है कि–
जब हम अपनी सफलता का श्रेय खुद को देते हैं तो अपनी असफलता का दोष दूसरों को क्यों देते हैं?
इस प्रश्न का एक सीधा सा उत्तर यह है कि–
कोई भी व्यक्ति अपने प्रत्येक कर्म (Deeds) और अपने प्रत्येक निर्णय (Decision) का जिम्मेदार स्वयं होता है। यदि हम सफल होते हैं तो इसके लिए हम खुद जिम्मेदार (Responsible) हैं। इसी तरह जब हम असफल होते हैं तो इसके लिए भी हम खुद जिम्मेदार होते हैं।
किसी व्यक्ति के सफल होने में जिन लोगों का भी हाथ होता है, उन लोगों को अपने जीवन में लाने और उनसे सहायता (Help) पाने का Decision हमारा ही होता है।
और इसके विपरीत यदि हमारे असफल होने में जिन लोगों का हाथ होता है, उन लोगों को अपने जीवन में लाने और उनसे धूर्ततापूर्ण सहायता पाने का Decision भी हमारा ही होता है।
अतः हम चाहे सफल हों या असफल हों, दोनों के जिम्मेदार हम खुद ही होते हैं।
अब यदि अपनी जीत या हार का जिम्मेदार हम स्वयं ही हैं तो अपनी हार के लिए दूसरों को दोष देना बिलकुल गलत (Stop Blaming Others) है।
इस बात को मैं एक उदाहरण के द्वारा समझाता हूँ–
क्रिकेट के किसी मैच में यदि कोई टीम हार जाती है तो टीम का कोच खिलाड़ियों को या किसी और को दोष नहीं देता बल्कि अपनी टीम के साथ मिलकर हार की जिम्मेदारी (Responsibility of failure) लेता है और जो गलतियां खिलाडियों द्वारा मैच में की गयीं उनका विश्लेषण (Analysis) करता है और उनको दूर करके टीम को अगले मैच के लिए तैयार कर लेता है।
सोचिये यदि टीम के खिलाडी और कोच एक दूसरे को दोष देते तो क्या परिणाम होते?
इसी तरह यदि Students के Marks कम आएं तो दोष Students को न देकर Teacher को इसकी Responsibility स्वयं लेनी चाहिए।
इसी तरह सामान न बिकने पर दुकानदार को ग्राहकों को दोष न देकर इसकी Responsibility खुद लेनी चाहिए।
इसी तरह ऑफिस में बॉस को, घर में पति या पत्नी को कुछ गलत होने पर दूसरों को दोष न देकर यह जिम्मेदारी खुद लेनी चाहिए।
असफल होने पर क्या करना चाहिए?
Stop Blaming Others But What to do if Fail
अब मैं आपको यह बताऊंगा कि यदि Failure का सामना करना पड़े तो क्या करना चाहिए। यदि आप इन बातों को ध्यान में रखेंगे तो सफलता के रास्ते (Way of success) आपके लिए खुल जायेंगे–
खुद के अच्छे आलोचक बनें
Be a Good Critic of Yourself
खुद का आलोचक होना बहुत अच्छी बात है लेकिन यहाँ ध्यान रखने वाली बात यह है कि आलोचना सकारात्मक और रचनात्मक (Positive and creative) हो।
अपनी कमजोरियों को स्वीकार करें (Accept your weakness)। अपनी गलतियों को खोजें (Find your mistakes)।
इसके बाद इन्हें दूर कर दें। इस तरह आप खुद के अच्छे आलोचक बनकर एक सफल इंसान (Successful person) बन सकते हैं।
किस्मत को दोष न दें
Do not Blame Your Luck
बहुत से लोग असफल हो जाने पर अपनी किस्मत को दोष देते हैं। हार का सामना करने पर लोग इस तरह React करते हैं- “हमारी तो किस्मत ही अच्छी नहीं है।” या “हमारे भाग्य में शायद यही लिखा था।” आदि।
इस तरह की बातें लोगों को और ज्यादा कमजोर बनाती हैं। किस्मत पर भरोसा करने वाले और किस्मत को दोष देने वाले, दोनों तरह के लोगों में आत्मविश्वास की बहुत कमी (Lack of confidence) होती है।
अतः खुद पर भरोसा (Trust Yourself) रखें और यदि असफल हो जाएं तो Responsibility खुद लें।
सही दिशा में मेहनत करें
Hard Work in Right Direction
कठिन परिश्रम का कोई विकल्प नहीं होता (There is no substitute for hard work)। बहुत से लोग मेहनत से काम करते हैं लेकिन फिर भी असफल हो जाते हैं। बाद में किस्मत को और दूसरे लोगों को दोषी ठहराते हैं।
अतः केवल कठिन परिश्रम से आजकल सफलता प्राप्त नहीं की जा सकती। यदि आप सही दिशा में कठिन परिश्रम करें तो Success जरूर मिलेगी।
थोड़ा पीछे हटें और फिर से आगे बढ़ें
Back off a Little and then Move On
जब भी हम Failure का सामना करें तो किसी दूसरे को उसका Blame न दें बल्कि थोड़ा रूकें और आराम से यह विचार करें कि यह असफलता क्यों मिली? (Why was the failure?) या इस असफलता के क्या कारण थे? (What were the reasons for the failure?)
असफलता के कारण जानने के बाद उनको दूर करें और एक बार फिर से सफलता की ओर आगे बढ़ जाएं।
जैसे कोई कठिन कार्य लगातार करने के लिए बीच-बीच में आराम बहुत जरूरी है उसी प्रकार असफल होने पर उसके कारणों पर विचार करना और उन्हें दूर करना बहुत जरूरी है।
दूसरों को दोष देने से खुद को ही नुकसान होता है
Would Harm Themselves by Blaming Others
हार का सामना करने पर यदि आप किसी दूसरे को दोष देते हैं तो उससे आपका दुगना नुकसान होता है।
पहला तो आप जिस व्यक्ति पर Blame लगाते हो तो उस व्यक्ति से आपके रिश्ते खराब हो जाते हैं।
दूसरा यह कि आप केवल दोष देने में ही लगे रहते है और आपको अपनी गलतियों (Mistakes) को सुधारने का मौका नहीं मिलता।
अतः दोष देना बंद करें और जीवन के प्रति अपनी जिम्मेदारी स्वीकार करें। (So stop blaming and accept their responsibility towards life.)
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Aap Ka artical jabardast h
Bahut Accchaaaa article
Thanks bro
मुझे आपकी पाँस्ट बेहद पसंद आई …..हमें अपनी असफलताओ को स्वीकार कर उनसे सबक लेना चाहिए
बहुत ही सुंंदर पोस्ट और विचार। आपने सही कहा कि हम अपनी सफलता और असफलता के लिए खुद ही जिम्मेदार होते हैं, इसलिए हमें दूसरों को दोष देने का कोई हक नहीं है।
एक मूल्यवान कमेंट के लिए जमशेद जी आपका बहुत धन्यवाद!
सही कहा आपने
आपके पोस्ट्स बहुत ही अच्छे हैं ! WITH DETAILED DESCRIPTION!
आपका बहुत धन्यवाद!
सही कहा अमूलजी आपने सवाल यह नहीं है कि किसका दोष था, सवाल यह है कि आप तमाम दोषों के रहते भी कैसे अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।
राजेश जी आपका धन्यवाद! अगर कोई व्यक्ति अपनी जिम्मेदारियों को समझने लगे तो किसी को या खुद को दोष देने की जरूरत ही नहीं होगी।
bahut achha article likha hai aapne ..
Aapka Dhanyavad…….
अमूल जी, बिलकुल सही कहा आपने। सफलता और असफलता दोनों की जिम्मेदारी हमारी स्वयं की है। अतः हमें इसे स्वीकार करना भी आना चाहिए।
अमूल जी, बिलकुल सही कहा आपने। सफलता और असफलता दोनों की जिम्मेदारी हमारी स्वयं की है। अतः हमें इसे स्वीकार करना भी आना चाहिए।
ज्योति जी….. इस बहुमूल्य कमेंट के लिए धन्यवाद!
bilkul amul ji hm jis tarah se succes milne par khud ki tarif karte hai usi tarah hamen asflata milne par khud ko jimmedar samjhna chahiye. bahut hi best article.
Great article.
Thanks Anil ji….