Money Management किसी भी व्यक्ति के जीवन का एक बहुत जरुरी हिस्सा है। जो व्यक्ति Money को Manage करना जानता है, वह हमेशा आर्थिक रूप से खुश (Financially happy) रहता है।
आजकल बहुत से लोग Money Management का उपयोग करते हैं लेकिन फिर भी पैसा उनका सही से साथ नहीं देता है, ऐसा क्यों?
बहुत सा पैसा (Money) होते हुए भी कुछ लोग कुछ छोटी छोटी जरूरतों के लिए परेशान रहते हैं, ऐसा क्यों?
आइये इसका उत्तर एक प्रेरक कहानी (Motivational story) के जरिये जानने की कोशिश करते हैं–
धन के सही उपयोग पर एक प्रेरणादायक कहानी
Inspirational Story on the Right Use of Money
बहुत समय पहले एक व्यक्ति के यहां चोरी हो गयी। चोर उनके घर में रखे 10 लाख रुपये चोरी करके ले गए। पूरा परिवार बहुत दुखी था। उस व्यक्ति और उसकी पत्नी का तो रो रोकर बहुत बुरा हाल था।
पुलिस में रिपोर्ट लिखा दी गई। पुलिस घर आयी और जो जांच पड़ताल उन्हें करनी थी, वह करके चली गयी।
तभी अचानक उनके कुलगुरु उनसे मिलने पहुंचे। परेशान परिवार ने घर पर आए कुलगुरु का स्वागत किया गया। उन्हें सम्मान से बैठाया और पानी आदि को पूछा।
कुलगुरु ने देखा कि घर में सभी उदास है। सबके चहेरे लटके हुए देखकर उन्होंने पूछा, “क्या बात है? सब लोग इतने परेशान क्यों लग रहे हैं? घर में सब कुछ ठीक चल रहा है या नहीं?”
तब उस व्यक्ति ने अपने गुरु को चोरी के बारे में सब कुछ बता दिया।
गुरु जी बोले, “चोर क्या क्या चुरा कर ले गये?”
वह व्यक्ति बोला, “घर में कोई कीमती चीज है ही नहीं, जैसे तैसे अपना गुजरा करते हैं। चोर तो हमारी जमापूंजी ले गया जो 10 लाख रूपये थी।”
गुरु जी बोले, “क्या! 10 लाख रूपये! तुम तो इतनी मुश्किल से अपने घर का खर्चा चलाते हो, बहुत सी जरुरत की चीजें भी तुम्हारे घर में नहीं हैं तो इतने रूपये तुम्हारे पास कहाँ से आये?
व्यक्ति बोला, “मेरे पिता मुझे 6 लाख रूपये दे गए थे और कह गए थे कि इन्हे कहीं खर्च मत करना और इनमे बहुत से पैसे और जोड़ना और उन्हें अपने बेटों को दे देना और उनसे भी आगे पैसों को जोड़ते रहने को कह देना। अब तक मैं इसमें 4 लाख रुपया जोड़ चुका हूँ। लेकिन गुरु जी! अब मैं बर्बाद हो चुका हूँ। मेरा सब कुछ लुट गया। वर्षों की कमाई में से कुछ भी न बचा।”
गुरु जी बोले, “परेशान मत हो और धीरज रखो, यह बताओ कि तुमने इस जमा पूंजी (Savings) में से आज तक कुछ खर्च नहीं किया?”
व्यक्ति बोला, “नहीं! खर्च करता भी तो कैसे? यदि खर्च करता तो क्या इतना जोड़ पाता।”
गुरु जी बोले, “आने वाले समय में इस धन में से कितना खर्च करने का तुम्हारा इरादा था?”
व्यक्ति बोला, “जी! बिलकुल भी खर्च करने का इरादा नहीं था, यदि खर्च करता तो आगे और अधिक धन कैसे बढ़ता और बेटों को दिया जाने वाला धन कम न हो जाता।”
तब गुरु जी मुस्कुराए और बोले, “पिता द्वारा दिए धन में से तुमने कुछ खर्च नहीं किया, आगे भविष्य में भी इस धन में से कुछ भी खर्च करने का तुम्हारा कोई इरादा नहीं था। तो तुम्हे किस बात की चिंता है?”
व्यक्ति बोला, “चिंता क्यों नहीं होगी गुरु जी! आखिर हमारे वर्षों की जमा पूंजी थी। हमारे पूर्वजों ने हमें इसी तरह से धन प्रबंधन (Money Management) सिखाया है।”
इतना सुनकर गुरु जी घर से बाहर गए और एक थैले में छोटे छोटे पत्थर भर लाये और उस धनी व्यक्ति को देते हुए बोले, “पत्थर भरे हुए इस थैले को लो और वहां रख दो जहाँ तुमने अपना धन रखा हुआ था। हर महीने उसमे कुछ और पत्थर जोड़ते रहना। इस तरह बहुत से पत्थर इकट्ठे हो जायेंगे। जब तुम इनमे से जरुरत पड़ने पर भी कुछ खर्च नहीं करोगे तो तिजोरी में धन क्या और पत्थर क्या, दोनों एक ही तो हैं। धन तुम खर्च करना नहीं चाहते हो और यह पत्थर तुम खर्च कर न सकोगे, तो दोनों बराबर ही तो हो गए।”
अपने गुरु जी की इन बातों को सुनकर उस व्यक्ति की आंखें खुल गयीं। वह बोला, “गलती हमारी ही है। अगर हम जरुरत पड़ने पर इसमें से धन खर्च करते रहते तो आज तक जरूरत की चीजों के लिए कभी परेशान न होते।”
उसे बीच में रोकते हुए गुरु जी बोले, “और न ही तुम्हारा यह धन चोरों द्वारा चुराया जाता। क्योंकि तुमने घर की सही से मरम्मत नहीं करायी थी और इसी बात का फायदा उठाकर चोर घर में घुस गए। इतना पैसा होने पर घर को सुरक्षित रखना भी एक जरुरत थी जो तुमने पूरी नहीं की।”
अब उस व्यक्ति की आंखें खुल चुकी थी। गुरु जी की बात उसे सही से समझ आ गई थी।
इस कहानी से आपने क्या सीखा?
Best Moral of this Story in Hindi
दोस्तों! इस कहानी (Hindi Story) से हमें Money Management के बारे में बहुत कुछ व्यावहारिक बातें सीखने को मिलती हैं।
कहानी में धनी व्यक्ति (Rich man) के पूर्वजों ने धन प्रबंधन (Money Management) के बारे में उसे बताया था कि “धन लगातार बचाओ, खर्च मत करो और हमेशा इसे बढ़ाते रहो।” जो कि Money Management की बिलकुल गलत व्यावहारिक सोच है।
वास्तव में, Money Management का सही व्यावहारिक अर्थ (Practical meaning) है कि “धन लगातार बचाओ, जरुरत पड़ने पर जरूर खर्च करो, लेकिन बगैर जरुरत के कभी नहीं तथा बचाये धन को इन्वेस्ट करके और अधिक बढ़ाते रहो।”
सोचो यदि आप किसी मार्केट में जाओ जहाँ आपकी जरुरत की बहुत सी चीजें हों और आपकी जेब पैसों से भरी हुई हो। आप मार्केट में घूमते रहो और कुछ देर बाद बिना कुछ खरीदे वापस आ जाओ। तो समझ लो आपकी जेब चाहें पैसों से भरी होती या पत्थर से, कोई फर्क नहीं पड़ता।
यदि पैसा केवल जोड़ते ही रहोगे और जरुरत की चीजें नहीं खरीदोगे तो वह जमा किया हुआ धन आपको कभी सुख नहीं दे पायेगा।
अतः जरुरत की चीजों पर हमेशा पैसा खर्च करना चाहिए और बिना जरुरत की चीजों को खरीदने से हमेशा बचना चाहिए।
धन चलता हुआ अच्छा रहता है क्योंकि तभी यह सही मायने में बढ़ता है जबकि रुका हुआ धन या तो चुरा लिया जाता है या अपने मूल्य (Value) को लगातार कम करता रहता है।
(यह कहानी मैंने कहीं पढ़ी थी लेकिन कहाँ पढ़ी थी यह ध्यान न आने के कारण मैं इसका source बताने में असमर्थ हूँ।)
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I like this this is right things
बहुत ही खूबसूरत कहानी है। यह जितनी ही अच्छी है उतनी ही प्रेरक। ऐसी उपयोगी रचना साक्षा करने के लिए आपका हृदय से आभार।
बेहद प्रेरक कहानी, आभार।
बहुत अच्छी सीख देने वाली स्टोरी हैं .हमारे बड़े खर्च करने को मन नहीं करते वे फिजूल खर्च को मना करते हैं |और इस स्टोरी मैं भी स्टोरी के पात्र के पिता का भी यही उद्देश्य था |
nice story
savings तो जरूरी है पर too much savings किसी काम की नहीं , धन का व्यय जिंदगी जीने के लिए होता है ….
बहुत अच्छी शिक्षा देती कहानी | धन जोड़ना अच्छी बात है | परन्तु ऐसे धन का क्या लाभ जो कभी जरूरत पड़ने पर खर्च भी न किया जा सके | या हमेशा बेवजह मन मार कर जिया जाए | धन तभी सार्थक है जब जमा भी हो और उसमें से थोडा इस्तेमाल भी होता रहे |
बहुतख़ूब