Inspirational Poem In Hindi ऐ मुसाफ़िर जरा संभल के चल

Inspirational Poem In Hindi : दोस्तों! उम्मीद पर ही दुनिया टिकी हुई है। यदि कोई व्यक्ति जीवन में कुछ अच्छा हासिल करना चाहता है तो उसे उम्मीद का साथ कभी नहीं छोड़ना चाहिए।

इतिहास ऐसे बहुत से लोगों की कहानी को समेटे हुए है जो परेशानियाँ आने पर भी उनसे झूझते रहे लेकिन उम्मीद का हाथ उन्होंने कभी नहीं छोड़ा और आखिर में उन्हें सफलता हासिल हो ही गयी।

inspirational poem hindi
Inspirational Poem

दोस्तों! आज मैं एक ऐसी Inspirational Poem आपके सामने रखने जा रहा हूँ जिसे पढ़कर आप महसूस करेंगे कि जीवन में कितनी भी Problems आ जाएं, घबराना नहीं चाहिए बल्कि उम्मीद का दामन थामकर परेशानियों से बहुत आगे निकल जाना चाहिए।

ऐ मुसाफ़िर जरा संभल के चल गिरने की नौबत न आए

(हिंदी प्रेरणादायक कविता)

 

ऐ मुसाफ़िर जरा संभल के चल गिरने की नौबत न आए

ऐ मुसाफ़िर जरा संभल के चल गिरने की नौबत न आए

 

दिक्कतों की खान हो फिर भी कभी हार मत मानो

सूरज को झुका दो खुद को आसमान से ऊपर मानो

 

कर लो जमीन इतनी मजबूत कि मारे मारे फिरने की नौबत न आए

कर लो जमीन इतनी मजबूत कि मारे मारे फिरने की नौबत न आए

 

ऐ मुसाफ़िर जरा संभल के चल गिरने की नौबत न आए

ऐ मुसाफ़िर जरा संभल के चल गिरने की नौबत न आए

 

तुम्हारा पाँव जख्मी हो फिर भी तुम रुकना नहीं

भले टूट जाए तुम्हारा सहारा लेकिन तुम टूटना नहीं

 

काँटों को फूल समझ कर चलो, जिससे काँटों से डरने की नौबत न आए

काँटों को फूल समझ कर चलो, जिससे काँटों से डरने की नौबत न आए

 

ऐ मुसाफ़िर जरा संभल के चल गिरने की नौबत न आए

ऐ मुसाफ़िर जरा संभल के चल गिरने की नौबत न आए

 

तुम्हारे बदन से लिपटी जंजीरें तुम्हारी पोशाक हैं

तुम्हारे हाथों की कारीगरी ही भविष्य का आगाज है

 

बचा लो कुछ वक्त जीने के लिए ताकि मंजिल मिलने पर मरने की नौबत न आए

बचा लो कुछ वक्त जीने के लिए ताकि मंजिल मिलने पर मरने की नौबत न आए

 

ऐ मुसाफ़िर जरा संभल के चल गिरने की नौबत न आए

ऐ मुसाफ़िर जरा संभल के चल गिरने की नौबत न आए

 

माना कि तुमको पागल समझकर तुझपर हंसेगी दुनिया

लेकिन एक दिन तेरे लिए ही ताली पिटेगी यह दुनिया

 

सपनों को उम्मीद के धागे में पिरो लो ताकि सपनों को बिखरने की नौबत न आए

सपनों को उम्मीद के धागे में पिरो लो ताकि सपनों को बिखरने की नौबत न आए

 

ऐ मुसाफ़िर जरा संभल के चल गिरने की नौबत न आए

ऐ मुसाफ़िर जरा संभल के चल गिरने की नौबत न आए

 

Ae musafir jara sambhal ke chal girne ki naubat na aaye

(Hinglish Prernadayak Kavita)

 

Ae musafir jara sambhal ke chal girne ki naubat na aaye

Ae musafir jara sambhal ke chal girne ki naubat na aaye

 

Dikkaton ki khaan ho phir bhi kabhi haar mat mano

Sooraj ko jhuka do khud ko aasamaan se upar mano

 

Kar lo jameen itani majabut ki maare maare phirne ki naubat na aaye

Kar lo jameen itani majabut ki maare maare phirne ki naubat na aaye

 

Ae musafir jara sambhal ke chal girne ki naubat na aaye

Ae musafir jara sambhal ke chal girne ki naubat na aaye

 

Tumhara paav jakhmi ho phir bhi tum rukna nahi

Bhale toot jaye tumhara sahaara lekin tum tootna nahi

 

Kanton ko phool samajh kar chalo, jisse kanton se darne ki naubat na aaye

Kanton ko phool samajh kar chalo, jisse kanton se darne ki naubat na aaye

 

Ae musafir jara sambhal ke chal girne ki naubat na aaye

Ae musafir jara sambhal ke chal girne ki naubat na aaye

 

Tumhare badan se lipati janjeeren tumhari poshak hain

Tumhare hathon ki karigari hi bhavishy ka aagaaj hai

 

Bacha lo kuch vakht jine ke liye taaki manjil milne par marne ki naubat na aaye

Bacha lo kuch vakht jine ke liye taaki manjil milne par marne ki naubat na aaye

 

Ae musafir jara sambhal ke chal girne ki naubat na aaye

Ae musafir jara sambhal ke chal girne ki naubat na aaye

 

Mana ki tumko pagal samajhkar tujhpar hansegi duniya

Lekin ek din tere liye hi taali pitegi yeh duniya

 

Sapno ko ummeed ke dhaage mein piro lo taaki sapno ko bikharne ki naubat na aaye

Sapno ko ummeed ke dhaage mein piro lo taaki sapno ko bikharne ki naubat na aaye

 

Ae musafir jara sambhal ke chal girne ki naubat na aaye

Ae musafir jara sambhal ke chal girne ki naubat na aaye

 

By- Raj Kumar Yadav

Email : [email protected]

“ऐ मुसाफ़िर जरा संभल के चल” यह कविता (Hindi Inspirational Poem) हमें राज कुमार यादव जी ने भेजी है जो गोपालगंज, बिहार से हैं। राज जी को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है। राज कुमार जी का बहुत बहुत धन्यवाद ! हम राज कुमार जी को उनके बेहतर भविष्य के लिए शुभकामनायें देते है।

————*******———– 

दोस्तों! यह Best Motivational & Inspirational Poem आपको कैसी लगी? यदि यह Hindi Inspiring Poetry आपको अच्छी लगी तो आप इस प्रेरणादायक हिंदी कविता को Share कर सकते हैं।

इसके अतिरिक्त आप अपना Comment दे सकते हैं और हमें E.Mail भी कर सकते हैं।

यदि आपके पास Hindi में कोई Article, Inspiring story, Life Tips, Hindi Quotes, Money Tips या कोई और जानकारी है और यदि आप वह हमारे साथ Share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ हमें E-mail करें। हमारी E.Mail Id है– [email protected] यदि आपकी Post हमें पसंद आती है तो हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ अपने ब्लॉग पर Publish करेंगे। Thanks!

12 thoughts on “Inspirational Poem In Hindi ऐ मुसाफ़िर जरा संभल के चल”

  1. ऐ मुसाफ़िर जरा संभल के चल….. किसी के सामने झुकने की नौबत न आये …..

    काफी बढ़िया कविता

    Reply
  2. माना कि तुमको पागल समझकर तुझपर हंसेगी दुनिया…
    Bahut hi sundr kavita…

    Reply

Leave a Comment