इतिहास ऐसे बहुत से लोगों की कहानी को समेटे हुए है जो परेशानियाँ आने पर भी उनसे झूझते रहे लेकिन उम्मीद का हाथ उन्होंने कभी नहीं छोड़ा और आखिर में उन्हें सफलता हासिल हो ही गयी।
दोस्तों! आज मैं एक ऐसी Inspirational Poem आपके सामने रखने जा रहा हूँ जिसे पढ़कर आप महसूस करेंगे कि जीवन में कितनी भी Problems आ जाएं, घबराना नहीं चाहिए बल्कि उम्मीद का दामन थामकर परेशानियों से बहुत आगे निकल जाना चाहिए।
ऐ मुसाफ़िर जरा संभल के चल गिरने की नौबत न आए
(हिंदी प्रेरणादायक कविता)
ऐ मुसाफ़िर जरा संभल के चल गिरने की नौबत न आए
ऐ मुसाफ़िर जरा संभल के चल गिरने की नौबत न आए
दिक्कतों की खान हो फिर भी कभी हार मत मानो
सूरज को झुका दो खुद को आसमान से ऊपर मानो
कर लो जमीन इतनी मजबूत कि मारे मारे फिरने की नौबत न आए
कर लो जमीन इतनी मजबूत कि मारे मारे फिरने की नौबत न आए
ऐ मुसाफ़िर जरा संभल के चल गिरने की नौबत न आए
ऐ मुसाफ़िर जरा संभल के चल गिरने की नौबत न आए
तुम्हारा पाँव जख्मी हो फिर भी तुम रुकना नहीं
भले टूट जाए तुम्हारा सहारा लेकिन तुम टूटना नहीं
काँटों को फूल समझ कर चलो, जिससे काँटों से डरने की नौबत न आए
काँटों को फूल समझ कर चलो, जिससे काँटों से डरने की नौबत न आए
ऐ मुसाफ़िर जरा संभल के चल गिरने की नौबत न आए
ऐ मुसाफ़िर जरा संभल के चल गिरने की नौबत न आए
तुम्हारे बदन से लिपटी जंजीरें तुम्हारी पोशाक हैं
तुम्हारे हाथों की कारीगरी ही भविष्य का आगाज है
बचा लो कुछ वक्त जीने के लिए ताकि मंजिल मिलने पर मरने की नौबत न आए
बचा लो कुछ वक्त जीने के लिए ताकि मंजिल मिलने पर मरने की नौबत न आए
ऐ मुसाफ़िर जरा संभल के चल गिरने की नौबत न आए
ऐ मुसाफ़िर जरा संभल के चल गिरने की नौबत न आए
माना कि तुमको पागल समझकर तुझपर हंसेगी दुनिया
लेकिन एक दिन तेरे लिए ही ताली पिटेगी यह दुनिया
सपनों को उम्मीद के धागे में पिरो लो ताकि सपनों को बिखरने की नौबत न आए
सपनों को उम्मीद के धागे में पिरो लो ताकि सपनों को बिखरने की नौबत न आए
ऐ मुसाफ़िर जरा संभल के चल गिरने की नौबत न आए
ऐ मुसाफ़िर जरा संभल के चल गिरने की नौबत न आए
Ae musafir jara sambhal ke chal girne ki naubat na aaye
(Hinglish Prernadayak Kavita)
Ae musafir jara sambhal ke chal girne ki naubat na aaye
Ae musafir jara sambhal ke chal girne ki naubat na aaye
Dikkaton ki khaan ho phir bhi kabhi haar mat mano
Sooraj ko jhuka do khud ko aasamaan se upar mano
Kar lo jameen itani majabut ki maare maare phirne ki naubat na aaye
Kar lo jameen itani majabut ki maare maare phirne ki naubat na aaye
Ae musafir jara sambhal ke chal girne ki naubat na aaye
Ae musafir jara sambhal ke chal girne ki naubat na aaye
Tumhara paav jakhmi ho phir bhi tum rukna nahi
Bhale toot jaye tumhara sahaara lekin tum tootna nahi
Kanton ko phool samajh kar chalo, jisse kanton se darne ki naubat na aaye
Kanton ko phool samajh kar chalo, jisse kanton se darne ki naubat na aaye
Ae musafir jara sambhal ke chal girne ki naubat na aaye
Ae musafir jara sambhal ke chal girne ki naubat na aaye
Tumhare badan se lipati janjeeren tumhari poshak hain
Tumhare hathon ki karigari hi bhavishy ka aagaaj hai
Bacha lo kuch vakht jine ke liye taaki manjil milne par marne ki naubat na aaye
Bacha lo kuch vakht jine ke liye taaki manjil milne par marne ki naubat na aaye
Ae musafir jara sambhal ke chal girne ki naubat na aaye
Ae musafir jara sambhal ke chal girne ki naubat na aaye
Mana ki tumko pagal samajhkar tujhpar hansegi duniya
Lekin ek din tere liye hi taali pitegi yeh duniya
Sapno ko ummeed ke dhaage mein piro lo taaki sapno ko bikharne ki naubat na aaye
Sapno ko ummeed ke dhaage mein piro lo taaki sapno ko bikharne ki naubat na aaye
Ae musafir jara sambhal ke chal girne ki naubat na aaye
Ae musafir jara sambhal ke chal girne ki naubat na aaye
By- Raj Kumar Yadav
Email : [email protected]
“ऐ मुसाफ़िर जरा संभल के चल” यह कविता (Hindi Inspirational Poem) हमें राज कुमार यादव जी ने भेजी है जो गोपालगंज, बिहार से हैं। राज जी को कवितायेँ लिखने का बहुत शौक है। राज कुमार जी का बहुत बहुत धन्यवाद ! हम राज कुमार जी को उनके बेहतर भविष्य के लिए शुभकामनायें देते है।
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Nice poem all
Supar kavita
ऐ मुसाफ़िर जरा संभल के चल….. किसी के सामने झुकने की नौबत न आये …..
काफी बढ़िया कविता
nice article
बहुत अच्छा लेख है |
Your article is very attractive keep it up. Thanks to share us.
Thanks for sharing with us
माना कि तुमको पागल समझकर तुझपर हंसेगी दुनिया…
Bahut hi sundr kavita…
Thanks,aapka amul jee
Meri kavita ko post karne ke lie,
Samajh nai paa raha hoon.Aapka shukriya ada kaise karoo?
Raj ji, Aap hamse jude rahiye….Hame aapke vishwas aur talent ki jarurat hai……
बहुत ही बढ़िया कविता लिखी है.
Bahut hi behtareen poem. Really nice Thanks for sharing